पुरस्कृत होती बदतमीजियां
हेमंत कुमार झा  आधुनिक इतिहास के पन्ने पलट कर देख लीजिए। कोई भी पुनरुत्थानवादी शक्ति ऐसी नहीं हुई जिसने अपने दौर के समाज का भला किया हो। समाज के कुछ खास तबकों को इन पुनरुत्थानवादियों में भले ही तात्कालिक आकर्षण नजर आए, लेकिन अंततः वे भी अपना सिर पीटते ही देखे गए।       सिर पीटना शुरू हो…
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जीडीपी 7.8% या 4%
आर के भारद्वाज  ये सारे अर्थशास्त्री लगता है आंकड़ों के खेल से ही कमाई करने के लिए होते हैँ... हम तो मान लेते हैँ कि सरकारी आंकड़े बिल्कुल सही हैँ.... पर इससे फर्क क्या पड़ता है आम आदमी को?कोई इन नेताओं  से पूछे कि देश की सड़को पर दौड़ते हुए टेढ़े मेढ़े रेहड़े, रिक्शे, साइकिलेँ,ठेले फटफटिये और …
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मिडिल क्लास की मजबूरी
हेमंत कुमार झा  कश्मीर में भारतीय सेना के कर्नल और मेजर और पुलिस के एक डीएसपी की शहादत पर भारत का मिडिल क्लास क्या सोच रहा है?          वह कुछ नहीं सोच रहा है।   वह भावुक हो रहा है उन अफसरों की जवान शहादत पर, फिर गर्व से भर जा रहा है।    एंकर उन अफसरों की जांबाजी के किस्से और राष्ट्र के…
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करने में क्या जाता है
संजय कुमार सिंह  एक देश, एक नोटबंदी के बाद एक सत्र भी!  'एक देश, एक चुनाव' का नारा 15 लाख के जुमले की ही तरह वोट खेंचू भले हो, पर लागू नहीं किया जा सकता है। याद है, पश्चिम बंगाल के आठ चरण वाले चुनाव और फिर पंचायत चुनावों में हिंसा तथा केंद्मेंरीय बलों की तैनाती और उपलब्धता? इसलि…
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स्पेस वॉर से फायदा कितना?
पंकज मिश्र  गाली दीजिए या कोसिये , चंद्रयान मंगलयान , गगन यान यह misplaced priorties है | स्पेस रिसर्च में इससे ज्यादा जरूरी शोध है करने को .... 80 फीसदी मेडिकल device हम इम्पोर्ट करते है , यहां तक कि हम सर्जिकल कट के बाद स्किन को staple करने वाला स्टेपलर तक नही बना पाते तो सोच लीजिए | …
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ख़बरों के चयन में अराजकता, मनमानी और डर का उदाहरण
संजय कुमार  अधिकारियों को ख़बरों पर नजर रखने का सरकारी आदेश भी हिन्दी में पहले पन्ने पर नहीं है दिल्ली दंगे के अभियुक्तों, अकील अहमद, रहीश खान और इरशाद को बरी कर दिये जाने तथा दिल्ली की एक अदालत द्वारा दिल्ली पुलिस की खिंचाई किये जाने की खबर आज हिन्दुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑ…
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