यूपी सरकार लाएगी पुलिस कमिश्नर प्रणाली सोमवार को कैबिनेट लगाएगी मोहर


लखनऊ। यूपी सरकार महानगरों में लागू करेगी कमिश्नर प्रणाली। ब्रिटिशकाल में शुरू हुई थी पुलिस कमिश्नर प्रणाली। आजादी से पहले देश के 3 महानगरों में थी व्यवस्था। उत्तर प्रदेश सरकार दो बड़े शहरों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू करने की योजना पर विचार कर रही है. सूबे की राजधानी लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (NCR) से सटे हुए नोएडा में इसे लागू किया जाएगा। राज्य सरकार का तर्क ये है कि इससे जिलों की कानून व्यवस्था बेहतर होगी। लॉ एंड ऑर्डर समेत तमाम प्रशासनिक अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास रहेंगे। आइए आपको बताते हैं कि आखिर पुलिस कमिश्नरी प्रणाली क्या होती है। पुलिस कमिश्नर के अधिकार कैसे बढ़ जाते हैं।


पुलिस कमिश्नर को मिलती है मजिस्ट्रेट की पॉवर


भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंतर्गत जिलाधिकारी यानी डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं. इस पद पर आसीन अधिकारी IAS होता है. लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू हो जाने के बाद ये अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक IPS होता है. यानी जिले की बागडोर संभालने वाले डीएम के बहुत से अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं.


कमिश्नर के पास होते हैं कई अहम अधिकार


दण्ड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के तहत एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate) को भी कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियां मिलती है। इसी की वजह से पुलिस अधिकारी सीधे कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के तहत ही कार्य करते हैं, लेकिन पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में IPC और CRPC के कई महत्वपूर्ण अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं।


प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार


पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस कमिश्नर सर्वोच्च पद होता है। ज्यादातर यह प्रणाली महानगरों में लागू की गई है। पुलिस कमिश्नर को ज्यूडिशियल पॉवर भी होती हैं। CRPC के तहत कई अधिकार इस पद को मजबूत बनाते हैं। इस प्रणाली में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस ही मजिस्ट्रेट पॉवर का इस्तेमाल करती है।