भारतचीनसीमाविवाद - चीनी घुसपैठ के प्रति हमारा स्टैं हैड क्या


 



19 मई 2020 को प्रधानमंत्री द्वारा सर्वदलीय बैठक में दिया गया, न कोई घुसा था, न कोई घुसा वाला बयान, अत्यंत हास्यास्पद बयान था और यह अकेला बयान यह बताने के लिये पर्याप्त है कि चीनी घुसपैठ को हम कितनी गम्भीरता से लेते हैं। चाहे डोकलां में हुयी   घुसपैठ हो, या 2013 में चीन द्वारा हमारी सीमा में घुस कर तंबू गाड़ने और फिर हटा लेने की घुसपैठ हो, भारत का रवैया चीनी घुसपैठ के प्रति नरम ही रहता है।

रक्षामंत्री कह रहे है कि, चीन ने हमारी सीमा में घुसपैठ की है, विदेशमंत्री ने कहा कि, चीन ने अंदर घुस कर पक्के निर्माण किये हैं, दुनिया भर के अखबार कह रहे हैं कि चीन ने अच्छा खासा जमावड़ा कर रखा है, सैटेलाइट इमेजेस पल पल की खबरें दे रही हैं कि चीन की पीएलए, हमारी सीमा में कितना अंदर तक और कितनी संख्या में घुसपैठ कर चुकी हैं और अब भी कर रही हैं, पर प्रधानमंत्री निर्विकार भाव से कह दे रहे हैं कि, न कोई घुसा था, न कोई घुसा है।

चीन की नीति और ध्येय स्पष्ट है और वह नीति है, विस्तारवाद की, दुनिया मे एक महाशक्ति बनने की, भारत को अलग थलग कर के  हथेली की पांच उंगलियों पर भी अपना अधिकार जमाने की। पर हमारी नीति क्या


है और हमारा चीनी घुसपैठ के प्रति स्टैंड क्या है ? वही न घुसा था और न घुसा है वाला या कुछ और ? और हमारी नीति और ध्येय क्या है ?

बहरहाल, अब तक इस मसले पर चुप रही सेना की ओर से पहली बार एक आधिकारिक बयान आया है जो बताता है कि सरकार ने किस तरह से चीन के मुद्दे पर जनता से झूठ बोला है। नार्दन एरिया कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाई.के.जोशी ने कहा है कि “सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति बहाल करने की पूरी कोशिश करेगी।” (continue all efforts to restore status quo ante along the LAC”) यानी प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक में झूठ बोला था और देश को गुमराह किया है। देश की सुरक्षा के मामलों में ऐसे झूठ का पुरजोर विरोध होना चाहिए, यह कोई सामान्य मामला नहीं है।

ले.जनरल जोशी ने ‘status quo ante’ कहा है जिसका अर्थ होता है यूद्धपूर्व स्थिति। यह साफ़ बताता है कि चीनी सेना भारत भूमि में घुसी हुई है और उसे वापस भेजना अभी तक संभव नहीं हुआ है। द टेलीग्राफ़ में छपी ख़बर के मुताबिक तमाम वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने कहा है कि सैनिकों की वापसी का मसला पूरी तरह सैन्य कमांडरों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए। बल्कि इसे राजनीतिक हस्तक्षेप द्वारा उच्च स्तर पर हल किया जाना चाहिए। राजनीतिक नेतृत्व को यथास्थिति की पुनर्बहाली के लिए कंट्रोल अपने हाथ में लेना चाहिए।


विजय शंकर सिंह