देश में प्रदूषण को सबसे बड़ी समस्या मानता है स्वीडन में कार्यरत यह भारतीय वैज्ञानिक


लखनऊ। आई आई टी मुंबई से शिक्षा प्राप्त स्वीडन  के गोदेनवर्ग विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक के रूप में कार्य कर रहे डॉ रवि कांत पाठक का मानना है कि भारत में प्रदूषण की समस्या विकराल रूप लेकर होमोजीनियस हो गई है जो कि केवल शहर को ही नहीं बल्कि गांव को भी अपनी गिरफ्त में जकड़ रही है। और जिसका प्रभाव मानव जीवन के शरीर पर ही नहीं बल्कि मस्तिष्क पर भी पड़ रहा है हमें इस बारे में कुछ ठोस सोचना होगा। कि हम प्रदूषण को कैसे रोके।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की गौ संरक्षण की योजना से प्रभावित होकर राजधानी आए पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ रविकांत ने नाग पोस्ट को बताया कि पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष 80 लाख  लोग वायु प्रदूषण से मर जाते हैं जिसमें भारत की एक बड़ी संख्या में शामिल है। उनका मानना है की भारत में वायु प्रदूषण जल प्रदूषण और भोजन  प्रदूषण  को रोकने के लिए कार्य होना चाहिए, जिसके लिए हमें एनर्जी के वैकल्पिक स्रोतों पर कार्य करना होगा  और खेती के पारंपरिक तरीके यानी *जैविक खेती* को अपनाकर इस दिशा में कार्य कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि इसकी शुरूआत गांव से होनी चाहिए और इसकी शुरुआत उन्होंने उत्तर प्रदेश के एक छोटे से अपने पैतृक गांव से कर दी है जहां वह जैविक विधि से खेती करते हैं और बच्चों के शिक्षा के उन्नयन के लिए गुरुकुल आश्रम पद्धति से  शिक्षा देने के लिए गुरकुल की  शुरुआत की है। 
वह चाहते हैं कि भारत के प्रत्येक गांव में यह प्रयोग होने चाहिए जिससे हम भारत में शैक्षिक, नैतिक और प्रदूषण रहित समाज की स्थापना कर पाएंगे। 
हांगकांग विश्वविद्यालय से वायु प्रदूषण से जलवायु परिवर्तन विषय पर पीएचडी कर चुके इस भारतीय वैज्ञानिक ने बताया की नदियां हमारे देश की लाइफ लाइन है और हम इन्हीं को सबसे ज्यादा गंदा कर रहे हैं यह इस देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है उन्होंने बताया कि वह न्यूरोटोक्सीन विषय पर रिसर्च कर रहे हैं कि वायु प्रदूषण कैसे हमारे  मस्तिष्क  को प्रभावित कर रहा है।