इटावा में किसान फसल को लेकर परेशान

_चकरनगर इटावा 18 मई।_ *तहसील क्षेत्र के अंतर्गत किसानों का खेतों में खड़ा गेहूं और खलिहान में एकत्रित आनाज भूसा को घर तक ले जाने के लिए जी जान से जुटे हुए हैं यहां तक की रातोदिन एक किए हुए हैं अभी पिछली 15 मई को आई लेटेस्ट आंधी ने किसानों को मुसीबत में डाला अब किसान बहुत शीध्रता से हाथ पर चला कर कड़ी मेहनत से लगाई हुई लागत का लाभ घर तक ले जाने में जुटे हुए हैं। आसमान और दिशाओं की तरफ यह देखते हुए कि कहीं आंधी ना आजाए इस चीज का भय व्याप्त है।*
*उपलब्ध जानकारी के अनुसार चकरनगर क्षेत्र के कई ऐसी जगहों पर कि जहां पर किसानों का गेहूं अरहरा केवल थ्रेशर से कटने के लिए ही नहीं बल्कि मौजूदा स्थिति में खेत से कटने के लिए भी खड़े हुए हैं। जहां एक तरफ मजदूरों का अभाव है तो वहीं दूसरी तरफ शादी समारोहों की धमाचौकड़ी के चलते किसान अपनी फसल उठाने में अभी भी लेट लतीफ हो रहा है। लालजी बताते हैं कि हमारे ताऊ के लड़कों का काफी गेहूं कटने के लिए खड़ा है मजदूरों के अभाव में फसल खेत से भी नहीं कट पाई रात और दिन काटने में लगे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ लला पंडित बताते हैं की हमारा गेहूं अभी भी खेत में कटने के लिए खड़ा है अभी मुझे उठाते उठाते कम से कम 8 दिन और लगेंगे उसके बाद सभी आनाआज घर पर ला पाएंगे। डर लग रहा है कि कहीं तेज आंधी आने से भारी भरकम का नुकसान ना हो जाए। छोटे सिंह बताते हैं कि हमारे खेत में खड़ी मूंग की फसल बेतहाशा फली लगी हुई है बहुतायत में फरी हुई है डर लग रहा है कि कहीं आंधी और ओले ना पड़ जाऐं की फसल ही चौपट हो जाए। भगवान से विनय करते हैं कि सुरक्षित फसल काट कर घर ले जाऊं वहीं नाथूराम विश्वकर्मा बताते हैं कि हमने अभी आंधी आने के दिन ही अपना गेहूं मशीन से उठा कर ले आए थे। प्रेम नारायण कठेरिया बताते हैं कि हमारा भूसा अभी भी पाटीदार के खेत पर रखा हुआ है जिसे मैंने आंधी से बचाने के लिए ढककर रख तो दिया है लेकिन डर यह लग रहा है की तेज आंधी अगर आई तो भूसा खेत से उड़ सकता है। प्रयास कर रहा हूं कि जल्दी से जल्दी ले आकर घर पर सुरक्षित रख लूं सीताराम 60 वर्षीय बताते हैं कि हमारा लाहा 17 तारीख को ट्रैक्टर मिला उसे कटवा कर घर ले आए 15 तारीख की आई आंधी से ऐसा लग रहा था कि कहीं लाहा के गट्टे उड़कर यमुना जी में न चले जाएं, लेकिन भगवान की कृपा से बच गए और मैं उठाकर सुरक्षित घर ले आया। सीताराम पंडित जी बताते हैं कि हमारे पड़ोसी गजराज ने 17 और 18 दिनांक कि बीती रात में बड़ी मात्रा में पूरी रात गेहूं कटवा कर भूसा ढोने का कार्य कर रहे हैं। बताते चलें कि जहां एक तरफ खेतों में पड़ा भूसा, गेहूं और खेतों में खड़ी फसल को काटने के लिए अभी भी किसान चिंतित है तो दूसरी तरफ हरी लहलहाती वह फसल किसानों की कि जिस में कछुआरी और और मूंग, पशुओं को खिलाने वाली चरी आदि खड़ी हुई है यहां तक की आमों में लगी हुई आम आदि फसलें भी आंधी के कुप्रभाव से किसान क्षतिग्रस्त होता है। बात यहां पर किसी तरह की मुआवजे की नहीं है बल्कि यह है कि पहले समय ऐसा हुआ करता था कि सिर्फ बरसात की फसल कर पानी के अभाव में खेतों में वर्ष भर कोई फसल पैदा नहीं कर पाता था लेकिन अब चलते पानी के संसाधन मेहनतकश लोग आज भी 12 महीने खेत को खाली छोड़ना नहीं चाहते हैं अपनी मशक्कत कर के खेतों को हरा भरा ही देखना चाहते हैं और इस परिपेक्ष्य में किसान काफी हद तक मेहनत करता है।