शालीनता से भरा होता था जेटली जी का जबाब - दीपक ज्योति त्रिपाठी


अपने पत्रकारिता के जीवन काल में मैंने शुरू से ही भारतीय जनता पार्टी को वाराणसी क्षेत्र में कवर करता रहा।मैं बात मुरली मनोहर जी के वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने  के समय की कर रहा हूं उस वक्त डॉ मुरली मनोहर जोशी के चुनाव प्रचार के लिए  श्री अरुण जेटली जी वाराणसी आए हुए थे। रमाडा होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस के समय हम लोगों ने उनको बताया कि आपका वायुयान शायद खराब हो गया है। वह बड़े आश्चर्य चकित हुए कि मेरा वायुयान खराब हुआ और मुझे नहीं पता है वाराणसी के पत्रकारों को पता है उन्होंने पता किया तो बात सही थी तो उन्होंने काशी के पत्रकारों के जानकारी के स्रोतों की तारीफ भी की उसके बाद सन 2014 के लोकसभा चुनाव में हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने के कारण लगातार 2 महीने तक काशी में रविशंकर प्रसाद जी और अरुण जेटली जी  चुनाव संचालन की जिम्मेदारी संभाली और लगभग रोज ही सूर्या होटल में पत्रकार वार्ता में हम लोगों के प्रश्नों का जवाब दोनों लोग दिया करते थे। और भी नेता लोग आते थे तो उसी जगह पत्रकार वार्ता हुआ करती थी लेकिन इतने वर्षों के मैंने अपने अनुभव में देखा कि अरुण जेटली जी का जिस तरह से जवाब होता था चाहे जैसा भी प्रश्न वह बहुत ही सुलझा हुआ जवाब होता था शालीनता से भरा होता था। और लोगों की जिज्ञासा शांत करने वाला होता था कई बार परिस्थितियां ऐसी आई की पत्रकार वार्ता में पत्रकारों ने बड़े तीखे सवाल किए कभी भी उनके भाव में मैंने गुस्सा नहीं देखा बल्कि हमेशा वह शालीन बने रहते थे। और बड़े ही बुद्धिमत्ता पूर्ण ढंग से अच्छे तर्कों के साथ वह जवाब दिया करते थे। और 2014 के चुनाव के बाद भी बीएचयू के सेंट्रल हॉल में उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मां गंगा के बारे में गंगा की सफाई के बारे में जब मैंने प्रश्न किया इसका उन्होंने बहुत ही  अच्छा जवाब दिया और बताया कि मां गंगा अवश्य स्वस्थ होंगी और उनका जल एक वक्त ऐसा आएगा की आचमन योग्य होगा। पत्रकार वार्ता के बाद भी मैं जेटली जी से कुछ व्यक्तिगत रूप से भी जानकारी मांगता था तू बड़े शालीन ढंग से जानकारी देते थे। और उनका पत्रकारों के साथ बहुत ही सहयोग पूर्ण रवैया हुआ करता था कभी भी उनको मैंने गुस्से में या असहयोग पूर्ण मुद्रा में अपने पत्रकारिता के जीवन में नहीं पाया। वाकई भारत मा ने अपने एक योग्य यशस्वी लाल को खो दिया जबकि इस वक्त अरुण जेटली जी की हम सभी को व हमारे  देश को बहुत आवश्यकता थी।उनके ज्ञान व अनुभवों से देश की चौमुखी तरक्की अवश्य होती जैसा कि उन्होंने अपने अनुभव के आधार से दिखा दिया चाहे वह जीएसटी का मुद्दा रहा हो चाहे नोट बदलने  का मुद्दा रहा हो सभी मुद्दों को बड़े धैर्य पूर्वक उन्होंने लागू किया। और कहीं भी उनके अंदर जरासा हिचक नहीं दिखाई दिया आज मैं जेटली जी को अपने नम आंखों से भावपूर्ण श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूं मैं समझता हूं कि यही हमारे तरफ से सच्ची श्रद्धांजलि है एक राष्ट्रभक्त राष्ट्र नेता व जनसेवक को।