प्रमोद जोशी की फेसबुक वॉल से


भारतीय सेना ने 12 स्वतंत्र अध्ययनों के आधार अपनी युद्ध क्षमता को बढ़ाने की दिशा में पिछले साल से यह काम शुरू किया है। इस साल मार्च में तत्कालीन रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने इन सुधारों की स्वीकृति दी थी। इसी प्रक्रिया के तहत सेना एक संरचनात्मक परिवर्तन के रूप में 'इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप' (आईबीजी) यानी कि एकीकृत युद्ध समूहों का विकास कर रही है। सेना की रणनीति में पिछले 15 साल में यह सबसे बड़ा बदलाव है। 


आईबीजी में युद्ध के लिए आवश्यक सभी तत्वों को एक स्थान पर एकीकृत किया जाएगा। सामान्यतः यह एकीकरण युद्ध में होता ही है, पर शांतिकाल में सेना के अलग-अलग तत्व स्वतंत्र रूप से काम करते हैं, जबकि 'एकीकृत युद्ध समूह' हमेशा एकीकृत इकाई के रूप में काम करेंगे।


यानी कि दूसरे विश्व युद्ध के समय विकसित हुई स्ट्राइक कोर की अवधारणा के स्थान पर अब तुरंत कार्रवाई करने वाली सेना बनाने पर ज़ोर है। यह बदलाव दो कारणों से ज़रूरी समझा गया। दोनों कारण एक-दूसरे से जुड़े हैं। हाल के वर्षों में देखा गया है कि सेना को युद्ध की स्थिति में लाने में कुछ समय लगता है। संरचनात्मक कारणों से उसके विविध अंगों को एकताबद्ध होने में समय लगता है।