पत्रकार नितिन ठाकुर ने कही बेजोड़ बात


अकेला आदमी बहुत खतरनाक होता है। 


जब वो हिजरत करता है तो अकेला होता है लेकिन लौटता है तो पूरे मज़हब के साथ।
अकेला आदमी आधी रात को राजमहल छोड़ देता है लेकिन जब वापस आता है तो उसके पीछे समाज का बड़ा वर्ग अनुयायी होकर बौद्ध बन जाता है। 
अकेला आदमी लोगों के समंदर में निर्भीक होकर सूली पर चढ़ता है मगर 2 हज़ार साल बाद दुनिया की सबसे बड़ी आबादी उसके नाम पर बपतिस्मा करा रही होती है। 
अकेला आदमी अपने पिता की आज्ञा पर वनवास चुनता है लेकिन जब लौटता है तो देश भर के लिए मर्यादा का आदर्श बनकर स्थापित हो जाता है। 
अकेला आदमी ज़हर का कटोरा मुंह से लगाकर पी जाता है पर हज़ारों साल बाद उसकी कही गई हर बात पर शोध होने लगते हैं। 
अकेला आदमी पृथ्वी और सूर्य का संबंध स्थापित करता हुआ जलाकर मार दिया जाता है और उसके सैकड़ों साल बाद उसे जलानेवालों के वंशज सामूहिक माफी मांगते हैं। 
अकेला आदमी अपना वतन छोड़ दक्षिण अफ्रीका जाकर करियर बनाना चाहता है लेकिन जब लौटता है तो दुनिया का सबसे बड़ा प्रयोगवादी राजनीतिक संत बनकर आता है।


सच यही है कि कौमें इतिहास नहीं बनाती, बल्कि उनका एक अकेला अगुवा ही सबसे पहले तूफान पैदा करता है।


यही अनुभव है जो अकेले होने पर भी वही लिखने के लिए प्रेरित करता है जो सही लगे। क्या फर्क पड़ता है कि आज आपको समझा जा रहा है या खारिज किया जा रहा है।


मनुष्यता का तो पूरा इतिहास पहले अस्वीकृति और फिर स्वीकृत किए जाने का दस्तावेज़ है। बेझिझक बेहिचक होकर कमज़ोर की तरफ खड़े रहिए, नई सोच के साथ अड़े रहिए, अलग रास्तों के लिए भिड़े रहिए। भविष्य आपके लिए इंसाफ का तोहफा लिए खड़ा है।