इटावा। चिकित्सा विश्वविद्यालय सैफई के कुलपति एवं जाने-माने न्यूरो सर्जन प्रो0 डा0 राजकुमार द्वारा लिखित पुस्तक ''सिर की चोट'' (हेड इंजरी) का विमोचन विश्वविद्यालय के आडिटारियम में किया गया। पुस्तक का विमोचन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डा0 राजकुमार ने प्रति कुलपति डॉ रमाकांत यादव, संकाय अध्यक्ष डॉ आलोक कुमार, चिकित्सा अधीक्षक डा0 आदेश कुमार, कुलसचिव सुरेश चंद्र शर्मा, निदेशक वित्त गुरूजीत सिंह कलसी के साथ संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के फैकेल्टी मेम्बर मेडिकल एवं पैरामेडिकल स्टूडेन्टस एवं चिकित्सा अधिकारी उपस्थित रहे।
सिर की चोट (हेड इंजरी) पुस्तक के विमोचन अवसर पर बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 डा0 राजकुमार ने कहा कि हेड इंजरी एक घातक, चुपचाप एवं अचानक होने वाली दुर्घटना है। प्रतिवर्ष पूरे विश्व में हेड इंजरी से 6.0 मिलियन लोग प्रभावित होते हैं। अकेले अपने देश में प्रतिवर्ष 1.5 मिलियन से ज्यादा लोगों के सर पर चोट लगती है जिसमें से 75-80 प्रतिशत हेड इन्जरी सड़क दुर्घटनाओं के कारण होती है। उन्होंने बताया कि हमारे देश में प्रति मिनट एक दुर्घटना होती है और हर 4 मिनट में दुर्घटना के कारण एक मौत हो जाती है। डा0 राजकुमार ने बताया कि सामान्यतः 50 प्रतिशत गम्भीर हेड इंजरी के मरीजों की मृत्यु हो जाती है। 25 प्रतिशत गम्भीर हेड इंजरी के मरीजों में अच्छा सुधार हो जाता है, जबकि 50-60 प्रतिशत साधारण हेड इंजरी कके मरीजों में आगे आने वाले दिनों में कोई समस्या नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि ट्रैफिक नियमों में सुधार करके, सड़कों की हालत दुरूस्त करके, सड़कों के किनारे उचित प्रकाश की व्यवस्था करके तथा हेड इंजरी से बचाव के लिए हेलमेट का प्रयोग, कार में सीट बेल्ट का प्रयोग, उचित लाइसेंस, शराब पीकर वाहन चलाने पर रोक, ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन इत्यादि से यह दुर्घटनायें रोकी जा सकती हैं।
प्रति कुलपति डॉ रमाकांत यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं जाने माने न्यूरोसर्जन प्रो0 डा0 राजकुमार द्वारा हिन्दी में लिखित इस पुस्तक से हेड इंजरी एवं उसके इलाज एवं सम्बन्धित भ्रान्तियों को साधारण शब्दों में चिकित्सा एवं चिकित्सा से जुडे लोगों के साथ जनसाधारण को समझाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने बताया कि अभी भी हेड इंजरी के बारे में जन साधारण तथा यहाॅ तक कि कुछ चिकित्सकों में काफी भ्रान्तियाॅ हैं। हेड इन्जरी का इलाज कहाॅ से शुरू होता है, क्या जाॅचे करनी चाहिए, कब आप्रेशन करना चाहिए, क्या माॅनीटरिंग करना चाहिए आदि के बारे में ही हेड इंजरी पुस्तक में बताया गया है।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे व यमुना एक्सप्रेस वे पर सड़क दुर्घटनाओं के आॅकडे़
हाल के आॅकड़ो के अनुसार यमुना एक्सप्रेस-वे पर अगस्त 2012 से मार्च 2018 तक लगभग 4956 सड़क दुर्घटनायें हुई हैं। जिसमें 7671 अत्यन्त गंभीर चोटें आई हैं एवं 713 मृत्यु हुई। यूपीडा की गणना के अनुसार 23.42 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं रोड के मानकों के अनुसार अधिक चाल से गाडी चलाने की वजह से हुई तथा 12 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाए गाड़ी का टायर फटने की वजह से हुई। यमुना एक्सप्रेस-वे पर दिन-प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं की संख्या तीव्र गति से बढ़ती जा रही है।
कैसे रोकी जा सकती हैं दुर्घटनायें।
ऽ ट्रैफिक नियमों में सुधार करके।
ऽ सड़कों की हालत दुरूस्त करके।
ऽ सड़कों के किनारे उचित प्रकाश की व्यवस्था करके।
ऽ हेड इंजरी से बचाव के लिए हेलमेट का प्रयोग।
ऽ कार में सीट बेल्ट का प्रयोग।
ऽ उचित लाइसेंस।
ऽ शराब पीकर वाहन चलाने पर रोक।
ऽ ट्रैफिक नियमों का कड़ाई से पालन।
ऽ वाहन चलाते समय फोन का उपयोग न करना।
ऽ निद्रा एवं नशे में वाहन न चलाना।