उत्तर प्रदेश में सक्रिय हैं कछुआ तस्कर

प्रतापगढ़। जीआरपी व आरपीएफ के हत्थे चढ़े अन्तर्राज्जीय कछुआ तस्कर गिरोह के सदस्य। नई दिल्ली से मालदा टाउन को जाने वाली से ट्रेन से हुई बरामदगी। पांच महिलाओं समेत कुल सात लोगो के कब्जे से झोले और बैग में भरे हुए कछुए बरामद किए गए। जिसके बाद वन विभाग को सूचना दी गई। सूचना पाकर डीएफओ बीआर अहिरवार अपने  दलबल के साथ जीआरपी थाने पहुचे और कछुओं की गिनती कराई गई। पांच सौ पचासी कछुए छोटे और मीडियम साइज के पाए गए तो वही 15 कछुए काफी भारीभरकम थे। बड़े कछुए काफी आक्रामक थे जो कई छोटे कछुओं को निवाला बना गए जिससे प्रतीत होता है कि कई दिनों से पकड़ कर इन्हें रक्खा गया था और तस्कर मुफीद अवसर की तलाश में थे। बरामद कछुओं को वन विभाग के अधिकारियों ने अपने कब्जे में लिया, जिसके बाद अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा। कछुओं नदी में छोड़ दिया जाएगा तो वही आरोपियों को रिमांड पर लेकर इनके पूरे नेटवर्क को खंगाला जाएगा। बताया जाता है कि मालदा कछुओं की बड़ी मंडी है जहाँ से इन्हें बड़े होटलों में सप्लाई किये जाने के साथ ही अन्य देशों में पहुचाया जाता है। कछुओं को दवाओं के अलावा लोग चाव से खाते है। जबकि कछुआ ही नदियों को स्वच्छ और निर्मल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और नदियों की गंदगी को साफ करता है। पकड़े गए सभी आरोपियो के किलाफ जीआरपी थाने में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जा रहा है।                                बरामद कछुओ की कीमत सामान्य मार्केट में तों लाखों है ही, अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कीमतें बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। यह कोई पहला मामला नही है इसके पहले भी कई बार यहा से बंगाल जाने वाली ट्रेनों से भारी बरामदगी हो चुकी है। कछुओं के साथ पकड़े गए लोगो मे पवन कुमार पुत्र हजारी, अरुण पुत्र बैरागी निवासी पकड़ी भादर थाना पीपरपुर जनपद अमेठी के साथ 5 महिलाए मीना, पूजा, सीमा, मुन्नी, रानी निवासी उपरोक्त पता भी गिरफ्त में आई है। इनमें से दो महिला तस्करों को कछुआ तस्करी के मामले में प्रतापगढ़ जीआरपी द्वारा जेल भेजा जा चुका है।