वरिष्ठ पत्रकार शंभूनाथ की फेसबुक वॉल से -1


चौरीचौरा में उग्र जनता की भीड़ ने पूरा थाना फूँक दिया था, 22 पुलिसवाले उसमें मारे गए थे। तब एक पूर्व में वकालत कर चुके बारिस्टर मोहनदास करमचंद गांधी ने ही जनता के गुस्से से पुलिस वालों को बचाया था। ज्यादा पुरानी बात नहीं है। यही करीब सौ साल पुरानी, 4 फरवरी 1922 की। पुलिस के सिपाही और दारोगा को भी न्याय वकील ही दिलाते हैं, कोई आईपीएस या आईएएस नहीं। इसलिए वकील का सम्मान करो।