लखनऊ। अभी तक राजधानी के सभासदों पर विकास अथवा निर्माण कार्यों में कमीसनबाजी अथवा दलाली के आरोप लगते थे , जो कि छुपाने की लाख कोशीश के बावजूद यदाकदा उजागर होते रहते हैं। इसी कढ़ी में ताजातरीन अरोप जड़ा है लोकवाणी केन्द्रों एवं सी एस सी सेंटरों के संचालकों ने। उन्होने आरोप लगाया है कि जनता जब आय ,जाति,निवास सम्बन्धित घोषणाओं को सत्यापित कराने के लिए सभासदों के पास जाती है तो वह दबाव बनाते हैं जनता उनके पसन्द के व्यक्ति से जो अमूमन उनका एजन्ट होता है, उससे ही प्रमाणपत्र बनवाए जोंकि जनता से एक प्रमाणपत्र बनवाने के पांच से आठ सौ रू0 वसूलतेेे हैं।
जबकि अमूमन यह प्रमाण पत्र सौ से 150 रु में बन जाता है। प्रधानमंत्री आवास योजना के आवेदन के समय इन एजेन्टो ने खूब रकम बटोरी। करोनाकाल में जब बड़े पैमाने पर में राशन कार्ड एवं स्कूल कालेज के आवेदन पत्र के साथ आय,जाति,निवास के प्रमाण पत्र संलग्न किये जा रहे हैं तब इनकी सहालग चल रही है।
आक्रोषित लोकवाणी केन्द् के संचालको ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि सभासदों से सत्यापित का अधिकार वापस लिया जाये क्योंकि वी आई पी कल्चर को इससे बढ़ावा मिलता है। प्रधानमंत्री मोदी इस परम्परा के घोर विरोधी हैं। गोरतलब है देश में स्वत सत्यापन मान्य है और अधिक प्रामाणिकता लाने के लिए उसका एफिडेबिट बनवा सकते हैं। ऐसे सभासद पुराने लखनउ में ज्यादा हैं।