संजय कुमार सिंह की फेसबुक वॉल से

 उत्तर प्रदेश में भाजपा और संघ की चुनावी तैयारी 



डा. कृष्ण गोपाल को विनीत नारायण से पंगा लेना भारी पड़ा - संघ ने बड़ा फ़ैसला लिया। विनीत के रास्ते से रोड़ा हटाया। 2017 में जब से उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की  सरकार बनी है तब से मथुरा के विकास के नाम पर आरएसएस के डा. कृष्ण गोपाल अपनी चांडाल चौकड़ी लेकर मथुरा में बैठ गये थे। वहाँ तैनात उनकी टीम ने पहले दिन से बड़े-बड़े घोटाले शुरू कर दिये। 


उधर जैन हवाला कांड उजागर करने के बाद 2002 से ही विनीत नारायण एक संत की प्रेरणा से ब्रज सजाने ने जुटे थे। उन्होंने बिना सरकारी पैसा लिए धरोहरों के इतने सारे जीर्णोद्धार करवा डाले कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, नीति आयोग के प्रमुख,  तमाम मंत्री, मुख्यमंत्री, उद्योगपति और संतगण उनके काम की प्रशंसा करते रहे हैं। 


विनीत की टीम ने डा. कृष्ण गोपाल और उनकी टीम से मोर्चा लिया और भगवान के काम में भी भ्रष्टाचार करने वाले इन लोगों का खुलकर विरोध किया। तो डा. गोपाल के लोगों ने विनीत पर एनजीटी में तमाम झूठे आरोप लगाकर उनका सेवा का काम रुकवा दिया। पर पूरी ताक़त लगाकर और जाँच करके ये लोग विनीत नारायण पर एक भी आरोप सिद्ध नहीं कर पाये। जबकि विनीत ने मई 2017 में पहले दिन ही अपने ही विरूद्ध सीबीआई जाँच की लिखित माँग करके इन विरोधियों के गाल पर थप्पड़ जड़ दिया था। विनीत नारायण के विरोध में सुब्रमण्यम स्वामी भी कूदे थे। उन्हें भी मुंह की खानी पड़ी थी। 


जूझारू पत्रकार विनीत अब कहाँ चुप बैठने वाले थे। वो और भी हाथ धोकर डा. कृष्ण गोपाल के पीछे पड़ गये। उनके लोगों के भ्रष्टाचार के तमाम कच्चे चिट्ठे खोल दिये। लोग विनीत से कहते कि “तुम हाथी से टक्कर मत लो कुचले जाओगे”। विनीत कहते, “हाथी क्या मैं तो जवानी से ही शेरों से टक्कर लेता आया हूँ। क्योंकि मेरा कोई स्वार्थ तो होता नहीं। सिद्धांतों की लड़ाई होती है। फिर ये तो प्रभु का कार्य है इसलिये जय- पराजय भी उनकी ही होनी है, मेरी नहीं।”


विनीत का संघर्ष रंग लाया। हाथी कहे जाने वाले डा. कृष्ण गोपाल अपने अनैतिक कृत्यों के कारण आज पैदल कर दिए गये । संघ ने उनसे सबसे ताकतवर पद छीन लिया। अब वे संघ और भाजपा के बीच समन्वय का काम नहीं करेंगे। जिसे वो पिछल सात साल से करते हुए इतने ताकतवर हो गये थे कि सब उनसे घबराते थे। कहावत है , ‘ जा पर कृपा राम की होई, तापर कृपा करें सब कोई‘।  


विनीत नारायण की ब्रज धाम के प्रति अगाध भक्ति और प्रभु भक्ति ने उन्हें आज एक और विजय दिला दी, ये हम मित्रों के लिये हर्ष की बात है। लगता है संघ और पार्टी को  समझ में आ गया है कि कि विनीत नारायण से पंगा लेना चुनाव में भारी पड़ सकता है। इससे पहले विनीत ने आरएसएस के पदाधिकारियों को टैग कर कई ट्वीट किए थे। उनके ट्वीट कुछ इस अंदाज में होते थे, ब्रज बचाने की गुहार 2017 से लगा रहा हूँ। लेकिन किसी की कान पर जूँ नहीं रेंगी? हिंदुत्व के पुरोधा होने का दावा करने वाले योगी राज में सनातन धर्म का इतना वीभत्स अनादर और ज़रा अपराध बोध नहीं? आपके वरिष्ठ पदाधिकारी डा. कृष्ण गोपाल के संरक्षण में मथुरा में विकास के नाम पर क्या-क्या कांड हुए हैं,  ये सप्रमाण जानने में रूचि है क्या चित्रकूट में उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर ‘ग़ैर राजनीतिक’ चिंतन कर रहे संघ को? एक और ट्वीट था, चारों ओर हताशा फैल रही है। सबका ज़ोर चुनाव जीतने पर है। दल और नेता बदलने से हालात नहीं बदलते। सोच व नीयत बदलनी है। और सबका असर हुआ लगता है।