योगी राज में व्हिसिल ब्लोअर की मुसीबत


 लखनऊ (वरिष्ठ संवाददाता)। सूबे के मुखिया आम जनता को भयमुक्त अपराध मुक्त शासन व्यवस्था की चाहे कितनी ही दुहाई दें, निचले स्तर पर तो पिछली सरकारों में पनपे जरायम पेशे  से जुड़े लोगों के बचाव से उनके हौसले अभी भी बुलंदी पर हैं। योगी सरकार की बड़े अपराधियों पर की गई बुलडोजरी कार्रवाई से आमजन को यह विश्वास हुआ है कि अब उनके भी हक-हकूक एवं मिल्कियत की रक्षा होगी। परंतु यहां यहियागंज नाला बेगमगंज चौक के निवासी सुरेश गुप्ता के साथ बिल्कुल उल्टा हो रहा है। अपना पुश्तैनी मकान बचाने के लिए वह थाना, एलडीए, मुख्यमंत्री निवास तक की तीन माह से दौड़ लगा रहे हैं। थक हार के वह न्यायालय की शरण में है।

पुराने लखनऊ की यहियागंज जॉन-7 इलाके की सकरी गलियों में नवधनाड्य  द्वारा पुराने मकानों को जमींदोज करके उसमें नए व्यवसायिक काम्पलेक्स का निर्माण करने का सिलसिला करीब दो ढाई दशक पुराना है। इन बिल्डरों की पहली पसंद विवादित भवन, ट्रस्ट अथवा मंदिर, मस्जिद की जमीन होती है। वैसे तो इस इलाके में व्यवसायिक व बहुमंजिला इमारतें बनाना प्रतिबंधित है लेकिन सरकारी महकमे की कृपा-दृष्टि के चलते नियम कानून सब ताक पर रखकर धड़ल्ले से व्यवसायिक कांप्लेक्स का निर्माण चालू है। इसमें अधिकांश भूमिगत 10 से 16 फीट खनन करके बनाई जा रही हैं। जिससे स्थानीय निवासियों के मकानों की बुनियाद तक हिल गई है। यही नहीं कई भवनों की दीवारें या तो चटक गई है या उनमें दरारें पड़ गई हैं। जबकि कई मकान तो बारिश में ढय  गए। लेकिन इनके विरुद्ध कोई मुंह खोलने का साहस नहीं कर पाता क्योंकि यहां पर धनबल बाहुबल खद्दरधारी व सरकारी मशीनरी का ऐसा काकस या यूं कहें चांडाल चौकड़ी है जो हर हाल में अपने मकसद को अंजाम देना जानती है फिर वह चाहे जितना अनैतिक व समाज विरोधी ही क्यों ना हो, इनके विरुद्ध आवाज उठाना आत्मघाती कदम कहा जाता है। जैसा कि सुरेश चंद्र गुप्ता से उनके शुभचिंतक कह रहे हैं जो कि बुजुर्गों की पुश्तैनी ड्यौड़ी  को बचाने के लिए आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर हैं जिनके पड़ोस में हो रहे व्यावसायिक कांप्लेक्स निर्माण व भूमिगत तल के खनन के चलते उनके दो मंजिला भवन की बुनियाद हिल गई है।


निर्माण विशेषज्ञ अभियंता बताते हैं कि खनन का सिलसिला यूं ही जारी रहा तो किसी भी समय उनके मकान के साथ-साथ आसपास के मकान जमींदोज हो सकते हैं। खास बात यह है कि मजबूरन सुरेश चंद गुप्ता द्वारा किए गए आत्मघाती कदम पर हौसला अफजाई करने के बजाय उनको स्थानीय लोग हतोत्साहित करने में जुटे हैं क्योंकि वह बिल्डरों के कारगुजरियों व इतिहास से भलीभांति वाकिफ हैं।

दूसरी ओर दागदार अपराधिक इतिहास वाले खद्दर-धारियों बाहुबलियों द्वारा समझाने के लिहाज से धमकाने की कार्रवाई भी लगातार की जा रही है। इस कार्यवाही में स्थानीय पुलिस एवं लखनऊ विकास प्राधिकरण के अभियंता भी शामिल है जो कि मुफ्त में सुरेश चंद्र गुप्ता को विवादों से दूर रहने में उनके व उनके परिवार के लिए बेहतर रास्ता बता रहे हैं। यही नहीं सुरेश के दो मंजिला भवन में हुए व संभावित नुकसान की भरपाई करवाने का वादा भी कर रहे हैं पीड़ित के पास इन लोगों के मोबाइल नं मौजूद हैं। लेकिन सुरेश गुप्ता एवं उनके परिवारजनों को पूर्व में अमीनाबाद के झंडे वाला पार्क के सम्बंध में की गई कार्रवाई पर यकीन भी होता है।

गौरतलब है कि एक बिल्डर ने पूर्व मेयर से घालमेल करके ऐतिहासिक झंडेवाला पार्क को जमींदोज करके भूमिगत व्यवसायिक कांप्लेक्स बनाने का मंसूबा पाला था, लेकिन एक युवा भाजपाई नेता अमित पुरी ने उस मंसूबे को जमींदोज करवा कर पुरानी पार्क बहाल करवाई थी। इस अभियान में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई तक सड़कों पर उत्तर आए थे। यही नहीं इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय में कपिल सिब्बल अरुण जेटली जैसे बरिष्ठ  अधिवक्ताओं ने पैरवी की थी। सुरेश गुप्ता के लिए अमित पुरी का यही कदम प्रेरणादायक रहा है। और तो और अभी हाल ही में लगभग तीन माह पूर्व योगी सरकार ने एसएसपी ऑफिस से लगभग एक फर्लांग की दूरी पर पूर्व बसपा सांसद एवं उनके साथियों द्वारा नियम कानून को ताक पर रखकर बहुमंजिला अवैध कांप्लेक्स बुलडोजरी  कार्रवाई करके जमींदोज किया है। और सरकारी सूत्रों के मुताबिक अभी उनके निशाने पर और भी अवैध कांप्लेक्स हैं। सरकार का मानना है कि अधिकांश कांप्लेक्स के निर्माण में नियम व कानून की बलि चढ़ाई जा रही है व इन निर्माणों में काला धन खपाया जा रहा है।

जरायम बिल्डरों की कारस्तानी अगले अंक में...