गोदी मीडिया न दिखाता है न बताता है
राजेन्द्र मिश्र 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त को जहां नारी शक्ति और सम्मान के बारे में उल्लेख कर रहे थे ठीक उसी वक्त भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित गुजरात राज्य सरकार ने बिलकिस बानो रेप केस में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 11 लोगों को जेल से बरी कर दिया। 
गोदी बन चुका सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ही नहीं बल्कि प्रदेशभर के हिंदी अखबार भी इस घटना को दबा गए। लेकिन अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने इस घटना को न केवल प्रमुखता से छापा बल्कि हमारे प्रधानमंत्री महिलाओं के प्रति कितने संजीदा हैं इस बात को उल्लेखित करते हुए फ्रंट पर दो तस्वीरों को लगाया एक तरफ बिलकिस बानों के बलात्कार के आरोपियों का फ्री किये जाने की और दूसरी तरफ तीस्ता सीतलवाड़ को जेल भेजने की घटना को उल्लेखित करते हुए उनकी तस्वीर। और लिखा है कि "प्रधानमंत्री नारी शक्ति पर  मुखर हैं लेकिन बिलकिस मामले में बलात्कारियों और हत्यारों के रिहाई पर चुप्पी साधे रहते हैं"
यह घटना 3 मार्च 2003 की थी जब कुछ लोगों की भीड़ ने 5 माह की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया व उसकी 3 वर्ष की बेटी समेत परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी थी। मुंबई की सीबीआई कोर्ट ने इन मुल्जिमों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी जिसको पहले मुंबई हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सजा को जारी रखा था। और जब गुजरात सरकार ने अपनी क्षमा नीति के तहत इन दोषियों को रिहा किया तो देशभर में सवाल उठने लगे ।

लेकिन यह मामला सुर्खियों में तब आया जब कम्युनिस्ट नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल व समाजिक कार्यकर्ता प्रफेसर रूपरेखा वर्मा इस मसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयीं और सुप्रीम कोर्ट इस मसले को सुनने को तैयार हो गया।

( लेखक वरिष्ठ टीवी पत्रकार हैं )