सतेन्द्र पी एस
यह आज की सबसे खूबसूरत तस्वीर लगी। Teesta Setalvad की मुस्कुराते हुए जेल से बाहर आते। ऐसे लोगों से जिंदा रहने और संघर्ष करते रहने का हौसला मिलता है।
यह फीलिंग आती है कि हम कितने तुच्छ मानव हैं जो अपनी ही समस्याओं में परेशान हो जाते हैं, और ये कैसे जुनूनी लोग हैं जो दूसरे के दर्द को अपने ऊपर लेकर जेल जाते हैं।
ऐसे ही जुनूनी डॉ राजेन्द्र प्रसाद रहे होंगे जो उस दौर के बंगाल के सबसे महंगे वकील थे और स्वतन्त्रता व गांधी का जुनून ऐसा सर चढ़कर बोला कि सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व करते सड़क पर गिराकर कूटे गए लेकिन भागे नहीं। ऐसे ही जवाहरलाल नेहरू रहे होंगे जो अपना महल छोड़कर 10 साल जेल में रहे। ऐसे ही जुनूनी सरदार पटेल रहे होंगे जो जगह जगह मौत या जीत का लक्ष्य लेकर धरने पर बैठे रहे। ऐसे लाखों लोगों को महात्मा गांधी ने पागल, सनकी, जुनूनी बना दिया था जो आईसीएस की नौकरी छोड़, अपनी महंगी वकालत छोड़, अपने महल छोड़कर सड़क पर लाठियां खा रहे थे, जेल में जा रहे थे। इन लोगों के पास सुखमय जीवन जीने का विकल्प था, अपना महल, प्रोपर्टी बचाए रखने और उसे बढ़ाने का विकल्प था। लेकिन उन्होंने स्वतन्त्रता आंदोलन का जुनून चुन लिया।
शासक अमूमन कायर होते हैं। उन्हें अदाणी के चार्टर प्लेन में घूमना होता है, रोज कपड़े बदलने होते हैं, फाइव स्टार होटलों में अय्याशियां करनी होती हैं। मुझे नहीं लगता कि ऐयाश लोग कभी जुनूनी लोगों का सामना कर सकते हैं। सुविधा खोजने वाले अपने स्तर के मुताबिक अय्याशी खोजते हैं और उन्हें वह अय्याशी चाहिए होती है, उन्हें अपनी अय्याशी छिन जाने का डर होता है। दूसरों के हित के लिए लड़ने वाले अलग मिट्टी के होते हैं, उनके डरने या कुछ छिन जाने के डर में जीना नहीं होता!
( लेखक वरिष्ठ पत्रकार है उनकी फेसबुक वॉल से )