नोटबंदी से लेकर चीता पुराण तक

आवेश तिवारी 
दिक्कत मोदी से नहीं  उस चरित्र से है जो हर पल सिर्फ और सिर्फ झूठे, फर्जी, दिखावटी और उलूल जुलूल तौर तरीकों से देश की  जनता को बरगलाने उनको भ्रमित करने  की कोशिश करता है। जिस वक्त देश मे बेरोजगारी और महंगाई से त्राहिमाम मचा हो भला उत्सव की यह व्यक्ति सोच कैसे लेता है? 

 चीते को ही लीजिए। पिंजरे में बंद  चीतों को छोड़ने का राष्ट्रीय कार्यक्रम क्या अब से पहले किसी देश में हुआ है?  कल को प्रधानमंत्री जी अपने जन्मदिन पर गधों की दौड़ भी करा सकते हैं, खुद 75 साल की उम्र में बंगी जंपिंग भी कर सकते हैं या तलवारवाजी करने का जोखिम भी उठा सकते हैं। 

एक बात तो पूरी तरह से प्रमाणित है कि इस व्यक्ति को देश की जनता से तनिक भी लेना देना नहीं है इसे विश्वास है कि यह जो कुछ भी खटकर्म करेगा उसके बावजूद अमित शाह और तिकडमी संधियों की टीम एवं गोबर गणेश जनता इन्हें प्रधानमंत्री तो बना ही देगी। वह व्यक्ति बेहद खतरनाक होता है जो अपनी लाज शर्म खो दी जिसकी आंखों में शील न हो। मोदी ने शर्म खो दी है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं उनकी फेसबुक वॉल से )