सारस आरिफ को दे दो नहीं तो मर जाएगा!
सतेन्द्र पी एस-
लालसर के बारे में एक कहानी प्रचलित है कि यह हमेशा मेल फीमेल के जोड़े में रहता है। अगर आप पुराने हाइवे से दिल्ली से कानपुर जाएं तो फतेहपुर के आसपास बड़े पैमाने पर लालसर मिलते हैं। 
मैंने एक यात्रा के दौरान दर्जनों लालसर देखे। कोई अकेला नहीं था। यह पेयर में रहते हैं और एक एक कदम साथ चलते हैं।उदय प्रकाश जी ने कुछ घण्टे जगह जगह रुककर लालसर के फोटो भी लिए थे।
उदय प्रकाश जी ने बताया कि लालसर का मांस खाया जाता है। लेकिन शिकारी यह ध्यान में रखते थे कि जोड़े को मारा जाए। अगर जोड़े में से कोई एक किसी भी तरीके से मर जाता है तो दूसरा भूखे प्यासे रहकर जान दे देता/देती है। फिलहाल लालसर उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है और उसका शिकार प्रतिबंधित है।
कल से एक फोटो दौड़ रही है जिसमें एक व्यक्ति की थाली में लालसर खाना खा रहा है। और भी कई फोटो साथ मे हैं। पक्षी संरक्षकों ने वह लालसर पकड़कर जंगल में छोड़ दिया, जिससे कि वह मुक्त और स्वतंत्र जीवन जी सके।
जबकि ऐसा नहीं लगता कि खाना खिला रहे और उसके साथ खेल रहे  व्यक्ति ने लालसर को किसी पिंजरे में या अपने घर मे कैद कर रखा हो। न तो ऐसी कोई खबर आई है। यह जरूर सूचना आ रही है कि लालसर कहीं घायल पड़ा था, जिसे वह व्यक्ति अपने साथ लाया, उसका इलाज किया, फिर दोनों प्रेमी प्रेमिका जैसे हो गए।
क्या वन विभाग या लालसर को राजकीय पक्षी मानकर उसका जबरदस्ती संरक्षण करने वाली सरकार को पता है कि लालसर हमेशा जोड़े में रहते हैं और अगर एक मर जाए तो दूसरा जान दे देता है? क्या सरकार ने उस पक्षी के बारे में अध्ययन कराया कि जोड़ा बिछड़ने के बाद वह किसके सहारे और कौन सा प्यार पाकर जिंदा था/थी? क्या सरकार अब फॉलो अप करेगी कि जंगल मे मुक्त किया गया लालसर अपना अन्न पानी त्यागकर जान नहीं दे देगा/देगी?
कभी कभी मारकर खा जाने वालों से ज्यादा दर्द कथित रूप से बचाने और मुक्ति दिलाने वाले और राजकीय सम्मान देने वाले दे देते हैं और न जीने देते हैं न मरने देते हैं।
इसी लालसर से जुड़ी एक कहानी गौतम बुद्ध की भी है।