केरला स्टोरी के निहितार्थ

शीतल पी सिंह
केरल की तीन लापता हुई लड़कियों की नासमझी पर आँसू बहा रही सनातनी जमात को जंतर मंतर पर बैठी ज़िंदा , विश्व चैंपियन लड़कियों से कोई मतलब नहीं है !

ये न सनातनी हैं न हिंदू हैं न लड़की हैं ! ये षड्यंत्र हैं जैसे उन्नाव की लड़की थी और जैसे चिन्मयानंद के नंगे बदन की मालिश करने वाली अभिशप्त लड़की थी !

कितने दोहरे मापदंड हैं समाज के ?





कृष्णकांत
कर्नाटक में चुनाव प्रचार खत्म हो गया। भाजपा कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने रैलियां की भाषण दिए। 

राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में सबसे जहरीली और घटिया भाषा किसने इस्तेमाल की? गाली, जहर, विष, कब्र, मौत जैसे शब्द किसने इस्तेमाल किए? जवाब सोचिए, उनका ओहदा सोचिए।  

इन महापुरुष ने एक ऐसी फिल्म को मुद्दा बनाया जो रिलीज होने के पहले ही घटिया प्रोपेगैंडा साबित हुई। पहले कहा गया कि केरल की 33000 लड़कियां ISIS में चली गईं। जब मामला कोर्ट गया तो जहरीले फिल्मकार ने कहा, यह 33000 नहीं, सिर्फ तीन लड़कियों की कहानी है। इस झूठ को हिंदुओं और मुसलमानों का सच बताकर प्रचारित किया जा रहा है। 

यह देश अपने ऐतिहासिक दुर्भाग्य का सामना कर रहा है। केंद्र में बैठे लोग चाहते हैं कि देश की जनता आपस में एक दूसरे से नफरत करे। 

विश्व का इतिहास गवाह है कि जनता को आपस में लड़ाकर सत्ता हथियाने वालों ने हमेशा कौम का, समाज का और मानवता का विनाश किया है।