बालेन्दु गोस्वामी
जिस देश में इसरो के वैज्ञानिक अन्धविश्वास का प्रसार करते हों.
सरकारें यज्ञ हवन के आयोजन में पैसा खर्च करती हों.
जहाँ के पूर्व प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति पद पर बैठे हुए लोग ठग और हाथ की सफाई दिखाने वाले तथाकथित संतों के पैरों में जाकर बैठते हों.
जहाँ वर्तमान प्रधानमंत्री गणेश को हाथी का सिर लगाने को दुनिया की पहली सर्जरी बताता हो.
जहाँ के राजनेता युवाओं को राष्ट्रवाद और धर्म के झूठे गर्व के लिए भड़का कर, देश को फासीवाद की आग में झोंककर अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना चाहते हों.
वहां क्या आश्चर्य है अगर अन्धविश्वास के खिलाफ लड़ने वाले डॉ. नरेंद्र दाभोलकर को गोली मार दी जाए तो!
धर्म की राह में आड़े आने वाले और ईश्वर की सत्ता को न मानने वालों को तो धर्म ने अपने रास्ते से हटाने का आदेश दे ही रखा है.
इतिहास साक्षी है, धर्म और ईश्वर को न मानने वाले नास्तिकों की हत्या धर्म के निर्देशानुसार आस्तिकों के द्वारा धरती के विभिन्न स्थानों पर सदियों से होती रही है.
सुकरात को भी इन्हीं लोगों ने मार डाला था.
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर जैसा व्यक्ति जिसने अपना जीवन अन्धविश्वास के निर्मूलन के लिए समर्पित कर रखा था, आस्था की भेंट चढ़ गया.
वे अन्धविश्वास और जादूटोने के खिलाफ बिल लाने के अभियान की अगुआई कर रहे थे.
इस नास्तिक व्यक्ति की हत्या किसी जादूटोने ने नहीं बल्कि रिवाल्वर से निकली गोली ने करी.
(डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की पुण्यतिथी पर)